#CRPFattack #Terrorism #NaeendraModi इस नए आगाज़ को, परवाज़ मिलनी चाहिए, पत्तियाँ तो आम हैं, अब शाख़ हिलनी चाहिए। हाँ बचानें को गए थे, जो वतन की आबरू, मर गए वो ठीक है, पर राख मिलनी चाहिए। क्यों नज़र आती हैं बस दो चार शक्लें ही बता? अब नही बहरूपियों की दाल गलनी चाहिए। सरहदों पर रोज़ क्यों दिखती हैं कुछ चिंगारियाँ? देश के उस पार भीषण आग जलनी चाहिए। है यही मसला अमल करता नही तू बोलकर, सब हदों के पार है, ये बात खलनी चाहिए। हर कहीं नारे लगे हैं इंकलाबी दरअसल, देशद्रोही हैं सभी बातें कुचलनी चाहिये। है जहाँ *निर्मोही* की शीतलता भुजंगों से कहो, जीभ जो विष से भरी हद में निकलनी चाहिए। #NojotoQuote #Nitinnirmohipoetry #CRPFattack #NarendraModi #Terrorism