इंसानों के लाखों रंग है इंसानियत यहां बेरंग है दूसरे की बरबादी की दुआ कर रहे यहां कोई नहीं किसी के संग है प्यार की परिभाषा ही बदल डाली हर कोई पाना चाहता भीतरी अंग है अच्छाई यहां पल पल मर रही बुराई की यहां गहरी सुरंग है ख़ुदा भी मदद नहीं कर रहा 'भारत' ख़ुदा ख़ुद इनकी हरकतों से तंग है #InsaaniyatBedhang #PoetInMe #ShayarInMe #KaviBhitar #Kalakaksh