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सामने वाले छत पर उस लड़की का बार-बार आना शायद मेरे

सामने वाले छत पर उस लड़की का बार-बार आना
शायद मेरे लिए बार बार बनाकर आती हो कोई बहाना
सुबह ,शाम व खिलखिलाती दोपहर का नही था कोई फर्क
ऐसा देखकर मेरे पूरे शरीर मे जैसे गुजर जाती थी  रेखा कर्क
अपने बन्द मोबाइल पर इस प्रकार अंगुलियों को थी फेरती
मानो वो इस अदा से मेरे दिल को बड़ा जोरो से थी छेड़ती
जब वो देखती तो आंखे लेता था मैं फेर,जब मैं देखता तो वो 
नैनन के चल रहे इस रण में पिसा जा रहा था मेरा दिल यो
चुपके से नजर उठाकर मुझे देखकर थी हल्की सी मुस्कुराती
उसके बाद शर्माकर अपना लाल चेहरा सहसा थी झुका लेती 
अपने ग़ुलाबी सुर्ख अधरों को दांतो तले ऐसे थी दबाती
 अधखुले लबो से थी मन्द-मन्द मंजुल सी गीत गुनगुनाती
अपने चेहरे को बार-बार बालो के लटों से थी छुपाती
तो कभी आहिस्ते से कानो से स्पर्श कर पीछे ले जाती
मेरे जेहन में उपजने लगे थे बहुतायात सवालातो के तरंग
मैं इसी सोच में मरा जा रहा था कि कब चढ़ेगा इश्क का रंग
सहसा उसका ये सारा छुपने-छुपाने का खेल हो गया  बन्द
पता चला कि उसका ठिकाना बदल गया है परिवार वालो के सँग
आरजुओं सँग पल-पल दफन होता जा रहा था उसके फरियाद में
नित्य जो ये उत्कंठित दिल गुमशुदा रहने लगान था उसकी याद में
पता नही वक्त की हमसे ये कैसी चली युद्ध-ए-नुमाइश थी
पूरी नही हुई जो हमारे दिल के अंदर उपजी ख्वाहिश थी।
                                                                                       ✍️आशुतोष_यादव #suspense_of_love अरुणशुक्ल अर्जुन Harsh dubey indira Baby  Yogini Kajol Pathak
सामने वाले छत पर उस लड़की का बार-बार आना
शायद मेरे लिए बार बार बनाकर आती हो कोई बहाना
सुबह ,शाम व खिलखिलाती दोपहर का नही था कोई फर्क
ऐसा देखकर मेरे पूरे शरीर मे जैसे गुजर जाती थी  रेखा कर्क
अपने बन्द मोबाइल पर इस प्रकार अंगुलियों को थी फेरती
मानो वो इस अदा से मेरे दिल को बड़ा जोरो से थी छेड़ती
जब वो देखती तो आंखे लेता था मैं फेर,जब मैं देखता तो वो 
नैनन के चल रहे इस रण में पिसा जा रहा था मेरा दिल यो
चुपके से नजर उठाकर मुझे देखकर थी हल्की सी मुस्कुराती
उसके बाद शर्माकर अपना लाल चेहरा सहसा थी झुका लेती 
अपने ग़ुलाबी सुर्ख अधरों को दांतो तले ऐसे थी दबाती
 अधखुले लबो से थी मन्द-मन्द मंजुल सी गीत गुनगुनाती
अपने चेहरे को बार-बार बालो के लटों से थी छुपाती
तो कभी आहिस्ते से कानो से स्पर्श कर पीछे ले जाती
मेरे जेहन में उपजने लगे थे बहुतायात सवालातो के तरंग
मैं इसी सोच में मरा जा रहा था कि कब चढ़ेगा इश्क का रंग
सहसा उसका ये सारा छुपने-छुपाने का खेल हो गया  बन्द
पता चला कि उसका ठिकाना बदल गया है परिवार वालो के सँग
आरजुओं सँग पल-पल दफन होता जा रहा था उसके फरियाद में
नित्य जो ये उत्कंठित दिल गुमशुदा रहने लगान था उसकी याद में
पता नही वक्त की हमसे ये कैसी चली युद्ध-ए-नुमाइश थी
पूरी नही हुई जो हमारे दिल के अंदर उपजी ख्वाहिश थी।
                                                                                       ✍️आशुतोष_यादव #suspense_of_love अरुणशुक्ल अर्जुन Harsh dubey indira Baby  Yogini Kajol Pathak