इंसानियत मर चुकी अब, हैवान जिंदा है करतूत पे इंसान की शैतान भी शर्मिंदा है उस बेजुबां को ख़बर क्या थी, जिसे समझा था हितैषी वो तो एक दरिंदा है इंसानियत मर चुकी है