जब मंज़िल ही नही स्पष्ट राह सही कैसे चले पथिक जिस अनजान पथ पे चल रहा उसको ही समझे प्रदर्शक क्या संभव है ऐसे में मंज़िल कैसे हो विदित दो पल ठहर जाए अगर विचारे अपना लक्ष्य स्वयं पथ सही चुन लेगा पथिक सुप्रभात। सफ़र अंजान राहों का कठिन तो है मगर दिलचस्प है कितना। #अंजानसफ़र #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi