एक दिन ज़िन्दगी से शर्त लगाई जीतने की और दौड़ गए। फिर दौड़े तो इतना तेज़ दौड़े कि साँस फूलने लगी पर रुक जाने पर हारने का डर! लेकिन इक रोज़ जब समझ न आया कि जीत के लिए पहुँचना कहाँ था, तो पीछे मुड़े कि ज़िन्दगी को होगी ख़बर.. मग़र न पीछे ज़िन्दगी नज़र आई और न आगे मंज़िल का सफ़र..! फिर हुआ यूँ कि न पैरों में ज़मीं बची, न जिस्म में रूह.. और इस तरह अपने ग्रह की खोज में अंतरिक्ष में घूमता हुआ, मैं एक खोया हुआ उपग्रह बन गया! #yqhindi #yqdidi #hindiquotes #yqdidihindi #yqbaba #गद्य #ज़िन्दगी #रेस