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ये तुम्हारी आंखे गगन सी लगती हैं। इसमे टहलती ये का

ये तुम्हारी आंखे गगन सी लगती हैं।
इसमे टहलती ये काली पुतली,
चांदनी रात में चन्द्र ग्रहण सी लगती हैं।।
मन करता है कि देखता रहूं इसे।
पर पता नही क्यों,
ये मुझे सरिता भंवर की लगती हैं,
हृदय में चाहत तो है।
इसमें डूब कर इसी का होने की।
पर मन को भय सा है,
खुद से ही खुद को खोने की।।

©Jitendra Mishra ये तुम्हारी आंखे गगन सी लगती हैं।
इसमे टहलती ये काली पुतली,
चांदनी रात में चन्द्र ग्रहण सी लगती हैं।।
मन करता है कि देखता रहूं इसे।
पर पता नही क्यों,
ये मुझे सरिता भंवर की लगती हैं,
हृदय में चाहत तो है।
इसमें डूब कर इसी का होने की।
ये तुम्हारी आंखे गगन सी लगती हैं।
इसमे टहलती ये काली पुतली,
चांदनी रात में चन्द्र ग्रहण सी लगती हैं।।
मन करता है कि देखता रहूं इसे।
पर पता नही क्यों,
ये मुझे सरिता भंवर की लगती हैं,
हृदय में चाहत तो है।
इसमें डूब कर इसी का होने की।
पर मन को भय सा है,
खुद से ही खुद को खोने की।।

©Jitendra Mishra ये तुम्हारी आंखे गगन सी लगती हैं।
इसमे टहलती ये काली पुतली,
चांदनी रात में चन्द्र ग्रहण सी लगती हैं।।
मन करता है कि देखता रहूं इसे।
पर पता नही क्यों,
ये मुझे सरिता भंवर की लगती हैं,
हृदय में चाहत तो है।
इसमें डूब कर इसी का होने की।

ये तुम्हारी आंखे गगन सी लगती हैं। इसमे टहलती ये काली पुतली, चांदनी रात में चन्द्र ग्रहण सी लगती हैं।। मन करता है कि देखता रहूं इसे। पर पता नही क्यों, ये मुझे सरिता भंवर की लगती हैं, हृदय में चाहत तो है। इसमें डूब कर इसी का होने की। #Trending #Eyes #प्रेम #ishq #मोहब्बत #इश्क #कविता #mohabbat