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इस उधार नगद के जीवन से जब चैन की साँसें लूँगा गिरध

इस उधार नगद के जीवन से
जब चैन की साँसें लूँगा गिरधर
हर  सुख  दुख  में  केवल
मैं तुम्हें पुकारूँगा गिरधर,

बना के बाती साँसों की
मैं तेरी आरती उतारूँगा गिरधर
मीरा के भजनों में, संतों की वाणी में
मैं, अब तुम्हें तलासुंगा गिरधर, 

मेरे हृदय में, अंतर्मन में तुम हो केशव
आओ, मुझको पास बिठा लो, गले लगा लो
साँझ सवेरे, आठों पहर
मैं अब से तुम्हें निहारूँगा गिरधर!

©Harishh,,,,, गिरधर,,,,,
इस उधार नगद के जीवन से
जब चैन की साँसें लूँगा गिरधर
हर  सुख  दुख  में  केवल
मैं तुम्हें पुकारूँगा गिरधर,

बना के बाती साँसों की
मैं तेरी आरती उतारूँगा गिरधर
मीरा के भजनों में, संतों की वाणी में
मैं, अब तुम्हें तलासुंगा गिरधर, 

मेरे हृदय में, अंतर्मन में तुम हो केशव
आओ, मुझको पास बिठा लो, गले लगा लो
साँझ सवेरे, आठों पहर
मैं अब से तुम्हें निहारूँगा गिरधर!

©Harishh,,,,, गिरधर,,,,,
krishnaaharish3666

Harishh,,,,,

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