ज़िंदगी में बचपन धूप की तरह था, जो उम्र के स्याह रात में खो गया, और मैंने सोंचा था कुछ नहीं होगा, पर बहुत कुछ अनजाने में हो गया। -सुमीत #baccha #Childhood ##shayari