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मोहब्बत के पँछी चहचहाने लगे, तुम्हें देखा तो बेसु

 मोहब्बत के पँछी चहचहाने लगे,
तुम्हें देखा तो बेसुरे भी गाने लगे..!

अन्धों में भी चाहत उमड़ने लगी,
तुम्हारा एक पल दीदार करने की..!

ख़ुद को नास्तिक बताने वाले,
इश्क़ को ख़ुदा बुलाने लगे..!

मेरे लफ़्ज़ों में ज़िक्र तुम्हारा रहा हर पल,
मेरे जज़्बात तुम्हें छल के पैमाने लगे..!

तुम्हारी ओर खिंचा जा रहा हूँ इस क़दर,
एहसास मेरे मुझे ही सताने लगे..!

बरसों से तरस रहा प्रेम को दिल मेरा,
इज़हार-ए-इश्क़ करने में ज़ुबाँ को ज़माने लगे..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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