जो समेटता फिरे डूबी कश्तियों का भार, वो किनारा थोड़ी हूं । तुम आते हो और जाते हो उतार कर मुझे तस्वीरों मे, कमबख्त मै कोई नजारा थोड़ी हूं। Mayank #NazaraThodiHun