जण जमाना में भौतिकतावाद हावी है,घोर कलयुग है ,दिखावा ने ज्यादा महत्व है,मनक मनक सूं तो छोड़ो साधु संता सुं पण आपणी इच्छा और आपणा कर्मा और कान ने हउ लागे अस्यो प्रवचन हूणनो छावै अणि कठिन समय मे भी "तरूण सागर" जी एक किवंदती बण गया,क्यों बण ग्या कड़वी वाता कर कर न...नीमड़ा रा पेड़ ज्यूँ असर कर ग्या, जैन समाज तो छोड़ो आखा देश मे आपणी वात अतरी कड़क तरीकउन केवा और फेर बी हूणवा ने जनसागर उमड़ावा री शक्ति...नमन... खम्मा घणी सा जैन मुनि अर राष्ट्र संत तरुण सागर जी महाराज कोनी रह्या। उन रो समाधिमरण शनिवार तड़के ३:१८ बज्यां दिल्ली मांय हुयो। इन रे प्रवचण री वजहां सूं इन्हें 'क्रांतिकारी संत' रो तमगा मिल्यो। तरुण सागर जी ने वाके कड़वे प्रवचणो रे वास्ते जाणो जातो है। वे अपणे अनुयायियों ने ज्यो प्रवचण देते थे वाने कड़वे प्रवचण कहते थे। या प्रवचणों मां तरुण सागर जी समाज मांय मौजूद कई बुराइयां री तीखा शब्दों मां आलोचणा करते थे। वाके प्रवचणां री किताब भी 'कड़वे प्रवचन' नाम सूं प्रकाशित की जावे है। योरकोट रे समस्त परिवार री ओर सूं श्री तरुण सागर जी महाराज ने कोटी कोटी निवण। 🙏 ------------------------------------------------------