कब तक होगा ये भाग दौड़, जिंदगी की भागदौड़। मस्ती मजाक तो भूल से गये, हसी खुशी सब धुल से गये। बस काम का बोझ बढ़ता जाए, यही सब देख दिल घबराए। बचपन जाने खत्म से हो गए, शरारत पीटारे में बंद हो गए। परिया तो आसमान में उड़ गए, खिलौने सारे टुट बिखर गए। जीवन जैसे हराम हो गया, परेशानियों को अराम हो गया। कदम हमारे बढ़ते जाते, क्यों नही हम लौट बचपन में जाते। मैने देखे थे जो सपने, मिलकर सब थे अपने। करते करते पूरे सपने, पीछे छूटे सभी अपने । ©Sonali #poem #Life #Tention #Pressure #Poetry #Life #Poet #poem