उत्साह और उमंग हो शब्दों का तरंग हो प्रेमरस घुल जायें इधर सभ्यता का संग हो ज्ञान की गंगा बहें नव नव सृजन कहे नव प्रौढ़ विलास हो एकता का विश्वास हो मिलकर करें साहित्य सृजन कविता कथा गजल गायन सबका का बस विस्तार हो हिन्दी का हो अभिवादन तो आईयें मिलकर करें शुरूआत शब्द कारवां को रचनायें पढ़े श्रवण करें दिखायें साहित्य संभावना को।। शुभकामनाएं