इन हवाओ की फिज़ाओ में कुछ नही रखा, अपनी औकात याद रखो। मोहब्बत-ए-दुश्वारियां क्या करना किसी से इन बेबफाओं में कुछ नही रखा। -दुश्वारियां . . . . .#khnazim