घड़ी घड़ी बातों में, तेरी ही यादों में, इन अकेली रातों में, रो देता हूँ मैं। छुपाये कुछ छुपता नहीं, बताये कुछ बता पता नहीं, तभी तो अक्सर अकेले में रो देता हूँ मैं। क्या रिश्ता है तेरा मुझसे, क्या रिश्ता है मेरा तुझसे, ये जाने बगैर ही रो देता हूँ मैं। हाँ पहले नहीं था ऐसा मैं, हाँ पहले नहीं था खुदसे अनजान मैं, तुझसे जुड़कर ही, यूँ अंधेरे में रहकर ही, रोना सीख गया हूँ मैं। #alone #Love #Life #Hindi #poem #Poetry #shayri #Pain