रहन सहन सभीका रहन-सहन वेशभूषा खान पान एक सा नहीं होता, फिर भी हम सब एक है नहीं कोई बड़ा और नहीं कोई छोटा। आदमी को भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप ढलना होता, संस्कृति रीति रिवाज प्रथा परम्परा के संग संग चलना होता। हरेक क्षेत्र की अलग अलग सामाजिक विलक्षणताएं होती है, रहन सहन वेशभूषा खानपान की पृथक विशेषताएं होती है। मेरे अद्भुत भारत में अनेकता में अखंडता परिभाषित होती है, धर्म निरपेक्षता में भी मजहबी समरसता परिलक्षित होती है। JP lodhi 28/06/2021 ©J P Lodhi. #Twowords #Nojotowriters #Nojotonews #Nojototeam #Poeyry