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#OpenPoetry गुजरा वक्त ,देखते-देखते अरसों गुजर गय

#OpenPoetry  गुजरा वक्त ,देखते-देखते अरसों गुजर गये बेटे का प्यार पाने को मां-बाप तरसते रह गये
सोचा था,बेटा होना जरूरी है,
बेटी तो बस बोझ की गठरी है
जाने कब मुंह काला करा दे 
सारे समाज से ताने सुना दे
बेटा नाम रोशन करेगा,सारे सुख 
एेशो-आराम देगा
यही सब सोच कर मार डाला उस बच्ची को गर्भ में
जो अभी उड़ी भी नहीं थी,इस परिवार रूपी नभ में गुजरा वक्त देखते-देखते अरसों गुजर गये
बेटे का प्यार पाने को मां-बाप तरसते रह गये
सोचा था,बेटा होना जरूरी है,
बेटी तो बस बोझ की गठरी है
जाने कब मुंह काला करा दे ,
सारे समाज से ताने सुना दे
बेटा नाम रोशन करेगा,
सारे सुख ऐशो-आराम देगा
#OpenPoetry  गुजरा वक्त ,देखते-देखते अरसों गुजर गये बेटे का प्यार पाने को मां-बाप तरसते रह गये
सोचा था,बेटा होना जरूरी है,
बेटी तो बस बोझ की गठरी है
जाने कब मुंह काला करा दे 
सारे समाज से ताने सुना दे
बेटा नाम रोशन करेगा,सारे सुख 
एेशो-आराम देगा
यही सब सोच कर मार डाला उस बच्ची को गर्भ में
जो अभी उड़ी भी नहीं थी,इस परिवार रूपी नभ में गुजरा वक्त देखते-देखते अरसों गुजर गये
बेटे का प्यार पाने को मां-बाप तरसते रह गये
सोचा था,बेटा होना जरूरी है,
बेटी तो बस बोझ की गठरी है
जाने कब मुंह काला करा दे ,
सारे समाज से ताने सुना दे
बेटा नाम रोशन करेगा,
सारे सुख ऐशो-आराम देगा
premkanwarbhati1671

Bhati

New Creator

गुजरा वक्त देखते-देखते अरसों गुजर गये बेटे का प्यार पाने को मां-बाप तरसते रह गये सोचा था,बेटा होना जरूरी है, बेटी तो बस बोझ की गठरी है जाने कब मुंह काला करा दे , सारे समाज से ताने सुना दे बेटा नाम रोशन करेगा, सारे सुख ऐशो-आराम देगा #open #OpenPoetry