पास आओ तो ज़रा ,देखो कब का जल गया हूॅ मैं तुम झूठ ही कहती थी पत्थरो में पत्थर मेरे दिल को देखो तो ज़रा कि पिघल गया हूँ मैं मुझे तो तलब थी सभी में बस अहसास ए इश्क बॉटने की मुझे क्या पता था कि आदत ए तलब के चक्कर से अपने ही घर से कही दूर निकल गया हूं मैं और मेरा तो शौंक ही था महफिल में नज़र ए मसला बनने का पागल तुम क्यों नही समझी कि यूं हीं तो गिरते ग़िरते संभल गया हूँ मै :अविका राठी (pearlikA) #gjl