प्रेम की बंशी अब न बजाया करो श्याम यमुना किनारे न आया करो न छेड़ो मुझे आऊ पनिया भरन जब न वृंदावन में अपनी गैया चराया करो न फोड़ो अब मटकी हमारे माथे धरी न सब चुपके से हमारे चीर चुराया करो न करो चाकरी अब हमारी हे कान्हा न अब माखन हमारा तुम खाया करो न मनमानी करो न अब बहिया धरो हे मनमोहन अब न हमको सताया करो नही चाहती हो कलंकित ये बन्धन प्रेम का अब न नजरें तुम हमसे मिलाया करो लोगो के ताने सुन-सुन मन व्यथित हो रहा हे मुरारी तुम अब बरसाना न आया करो स्वरचित ✍अंकुर तिवारी✍ ©Ankur tiwari #hemurari_प्रेम #Grassland