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इंसान को जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए। इ

इंसान को जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए।
इसका असली भावार्थ यही है कि पैर खुले रह जायेंगे तो ठण्ड लग जायेगी। ठण्ड ।
इंसान को जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए।
इसका असली भावार्थ यही है कि पैर खुले रह जायेंगे तो ठण्ड लग जायेगी। ठण्ड ।
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ठण्ड ।