हे कान्हा तुम हो जगतप्यारे, कंश का अहंकार तुमने मिट्टी में मिला दिया। न बाण उठाया न शास्त्र चलाया महाभारत का रण तुमने जीता दिया, हे कान्हा तुम हो जगतप्यारे। तुमने ही तो ये संसार बसा दिया, पूरा ब्रह्मांड लिए हो मुख में ऐसे ही थोड़ा तुम्हारा जयकारा लगा दिया। हे कान्हा तुम हो जगतप्यारे, हर बार तुमने पापियों को माफ़ किया। जब अति हुई पापो को तो सुदर्शन चलाकर सबको ठिकाने लगा दिया, हे कान्हा तुम हो जगतप्यारे तुमने जन जन को प्यार किया तुमने जन जन को प्यार किया। ©Adv Vishal Singh Dixit #विशालदीक्षित #janmaashtami