वो कोन सा सफर है जहां सुकून की ठंडी हवाएं बेहती है कौन सा डगर है जहा राहत की सासों का आना जाना है ज़माना मुझसे थोड़ा ख़फ़ा है वर्ना बेवजह रुकना कौन चाहता है दौलत ही ख़ुदा है यहा काफिर होके जीना कौन चाहता है छोड़ दिया हमने भी परवाह करना वर्ना अपनों से दूर, होना कौन चाहता है #nojotohindi #कहानी #atmakatha #soch