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कभी पलकें झुका कर दीदार किया, तो कभी नज़रें उठा कर

कभी पलकें झुका कर दीदार किया,
तो कभी नज़रें उठा कर सवाल किया।
तुम नही थे जब साथ मेरे,मैंने हर 
वक्त ख़ुद को बेजार किया।

तुम क्या जानो ओ बेखबर,किस 
बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार किया।
जब शाम ढली, बहार चली,
हर लम्हें में तुम्हे याद किया।

ज़रा पूछो उस आसमान से,
और गहरी अंधेरी रात से।
किस क़दर मेरी नींदों ने 
तुम्हारी याद से सौदा बराबर किया।

देखो ना वो ख़ुदा जो कल तक मेरी
सारी दुआएं कुबूल करता था।
उसने भी मेरे सब्र का इस क़दर
इम्तेहान लिया।

कुछ नमी थी आँखों में,
जिसे पानी संग धोकर हटा दिया।
जो कमी अखल रही थी तुम्हारी मुझमें,
उसे बस यूं ही मुस्कुराकर टाल दिया।

गैरमौजूदगी मे भी यार तुम्हारी याद तुम्ही को
किया है।यादों के उस घेरे मे वक्त तुम्ही को 
दिया है।हैरान है वो ख़ुदा,के ख़ामोश रहकर
भी मैंने कैसे इबादत मे तुम्हारा नाम रौशन किया है। "याद"

 Thanks for poke Chintan Jain



#yaadon_ki_dayari 
#scribblethoughts
कभी पलकें झुका कर दीदार किया,
तो कभी नज़रें उठा कर सवाल किया।
तुम नही थे जब साथ मेरे,मैंने हर 
वक्त ख़ुद को बेजार किया।

तुम क्या जानो ओ बेखबर,किस 
बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार किया।
जब शाम ढली, बहार चली,
हर लम्हें में तुम्हे याद किया।

ज़रा पूछो उस आसमान से,
और गहरी अंधेरी रात से।
किस क़दर मेरी नींदों ने 
तुम्हारी याद से सौदा बराबर किया।

देखो ना वो ख़ुदा जो कल तक मेरी
सारी दुआएं कुबूल करता था।
उसने भी मेरे सब्र का इस क़दर
इम्तेहान लिया।

कुछ नमी थी आँखों में,
जिसे पानी संग धोकर हटा दिया।
जो कमी अखल रही थी तुम्हारी मुझमें,
उसे बस यूं ही मुस्कुराकर टाल दिया।

गैरमौजूदगी मे भी यार तुम्हारी याद तुम्ही को
किया है।यादों के उस घेरे मे वक्त तुम्ही को 
दिया है।हैरान है वो ख़ुदा,के ख़ामोश रहकर
भी मैंने कैसे इबादत मे तुम्हारा नाम रौशन किया है। "याद"

 Thanks for poke Chintan Jain



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