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एक महिला ही तो मां का सम्मान पाती है एक महिला पूरी

एक महिला ही तो मां का सम्मान पाती है एक महिला पूरी दुनिया में बेटी कही जाती है फिर इतना बताओ ए जमाने के जालिमों इक महिला क्यूं दुनिया में रंडो कही जाती है

मेरी कहानी सुन वो अपना तकिया भिगाती है मेरे हर शब्द पर वो खुद को दर्द में डुबाती है खामोश लब सुर्ख आंखें और बहते हुए अश्क मैं जानता हूं वो किस तरह जिंदगी बताती है।

हर रोज सवेरे वो घर से निकल जाती है अपनी मजबूरी में वो बाजार बन जाती है जिंदगी को भुनाने में वो मजबूर होकर हवस के दिए में जलने पतंगा बन जाती है

मजबूर वो जिंदगी का ज़हर पी जाती है अपनों की खातिर सब कुछ सह जाती है अरे सब तो मरते हैं एक दफा जिंदगी में पर वो तो हर रोज कई दफा मर जाती है

मेरे साथ प्यार के वो सपने सजाती है मेरी आंखों में खुद के लिए प्यार पाती है किए हैं सितम उस पर जमाने ने लाखों वो अपना प्यार अब मुझसे ही छुपाती है।

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