ये शहर सब जानता है। हर हवाओं को अपना मानता है। कुछ होले होले बहती है। कुछ अपने गर्दिशों में रहती है। यहां बहुत कुछ👉उनके साथ उड़ गया है। बाकी कुछ बचा वो👉 बस याद शहर रह गया है। ~~शिवानन्द ये #शहर सब जानता है। हर #हवाओं को अपना मानता है। कुछ होले होले बहती है। कुछ अपने गर्दिशों में रहती है। यहां बहुत कुछ👉उनके साथ उड़ गया है। बाकी कुछ बचा वो👉 बस #याद_शहर रह गया है।