कागज की कश्ती सी हस्ती मेरी, ऐसी कोई जानिब़ नहीं जहाँ मेरा ठिकाना है; न कोई पतवार न कोई माँझी मेरा, मुकद्दर ये ही है कि कुछ दूर तैर डूब जाना है! खेल-खेल में रचा गया अस्तित्व मेरा, ऐसा कोई जमाना नहीं जहाँ मेरा जमाना है; जो बड़े हुये तो वो सब तज गये मुझे, जिनका बचपन तैरा मेरी जवानी का डूब जाना है! नित नया पढ़ा और गढ़ा गया मुझे, हुआ करता था बच्चों के पेट का निवाला ये किस्सा पुराना है; कागज की कश्ती सी हस्ती मेरी, मुकद्दर यही है कि कुछ दूर तैर हमेशा को डूब जाना है! कागज की कश्ती सी हस्ती मेरी.......... अस्तित्व में है परन्तु बारिशों की शर्त पर ! #yqbaba #yqstory #कागज_की_कश्ती #हस्ती #yqbaba #yqwritings #yqquotes #surajaaftabi