ख़ुद्दारी, वफ़ा, मेहनतकशी, ईमान खाती है, नई नस्ल पुरखों की फ़क़त पहचान खाती है, ये बोलकर बेटे ने बूढ़ी माँ को धमकाया, मर क्यूँ नहीं जाती है, दिनभर जान खाती है। कृष्ण गोपाल सोलंकी 8802585986