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हर कोशिश के बाद यूँ हाथ न मला होता गर हम भी ख़ुदा क

हर कोशिश के बाद यूँ हाथ न मला होता
गर हम भी ख़ुदा के बन्दे होते,अपना भी भला होता

बेबफाई का खेल कुदरत क्यों सिखलाती है
कभी तो,जिस्म के साथ रूह भी जला होता

हर चौक चौराहे पर देश समाज के फ़िक्र की बाते
कभी तो माँ का ख़्याल,इस चर्चे का मसला होता

अच्छा कुछ होता नहीं और उसपे साथ नाउम्मीदी का बादल
मुझे बर्बाद करो ख़ुदा पर,बर्बादी का तस्वीर तो धुँधला होता

सजा तो मरने के बाद मिलेगा,ऐसे में कोई कैसे डरेगा
बेहतर था,यहींपर ख़ुदा होता,यहीं सबका फैसला होता

एक छोटी सी बस्ती शहर की,जिसे तवायफ़ की बस्ती कहते हैं
वहाँ चाँद तो निकलता है,कभी वहाँ सूरज भी निकला होता #yqbaba
1st sher is from one of my old quote
हर कोशिश के बाद यूँ हाथ न मला होता
गर हम भी ख़ुदा के बन्दे होते,अपना भी भला होता

बेबफाई का खेल कुदरत क्यों सिखलाती है
कभी तो,जिस्म के साथ रूह भी जला होता

हर चौक चौराहे पर देश समाज के फ़िक्र की बाते
कभी तो माँ का ख़्याल,इस चर्चे का मसला होता

अच्छा कुछ होता नहीं और उसपे साथ नाउम्मीदी का बादल
मुझे बर्बाद करो ख़ुदा पर,बर्बादी का तस्वीर तो धुँधला होता

सजा तो मरने के बाद मिलेगा,ऐसे में कोई कैसे डरेगा
बेहतर था,यहींपर ख़ुदा होता,यहीं सबका फैसला होता

एक छोटी सी बस्ती शहर की,जिसे तवायफ़ की बस्ती कहते हैं
वहाँ चाँद तो निकलता है,कभी वहाँ सूरज भी निकला होता #yqbaba
1st sher is from one of my old quote