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आज फिर चांद नजर नही आया इंतजार में तेरे सारी रात म

आज फिर चांद नजर नही आया
इंतजार में तेरे सारी रात मै बैठा रहा..
उस रोज चांद भी था, और तुम भी थे
पहली मुलाकात तुमसे मेरी चांद के साथ हुई थी..
वो ठंडी -ठंडी हवा, 
तेरी और से आकर जो चली थी..
चांद से जो नजरें हटी तो 
फिर जाकर तेरे चेहरे पर रुकी थी...
वो तेरी भीनी भीनी खुशबू
 मेरी और जो बही थी..
में खोने ही लगा था तुझमें
और चांद को जाने की जल्दी थी..
सुबह वो चांद भी छिप गया कहीं
और तू भी वहां नही थी..
आज फिर चांद नजर नही आया
इंतजार में तेरे सारी रात मै बैठा रहा..

©Bhoomi
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