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यादों के उजाले में दिन रात चलते हैं.. हम थामते है

यादों के उजाले में दिन रात चलते हैं..
हम  थामते हैं दिल कभी मचलते हैं।
अंधेरे में अक्सर, मैं डूब जाता हूँ,
बाँहों को थामे,जब लोग टहलते हैं।
आँखों में छिपकर, थे यादों के मोती,
जो अश्क संभाले थे, वो पिघलते हैं।
वो राहें हैं तकती,जहां हम नुमाया थे,
मन नहीं करता, अब कम निकलते हैं।

©Ram Unij Maurya Honey #राम_उनिज_मौर्य
यादों के उजाले में दिन रात चलते हैं..
हम  थामते हैं दिल कभी मचलते हैं।
अंधेरे में अक्सर, मैं डूब जाता हूँ,
बाँहों को थामे,जब लोग टहलते हैं।
आँखों में छिपकर, थे यादों के मोती,
जो अश्क संभाले थे, वो पिघलते हैं।
वो राहें हैं तकती,जहां हम नुमाया थे,
मन नहीं करता, अब कम निकलते हैं।

©Ram Unij Maurya Honey #राम_उनिज_मौर्य