#OpenPoetry ऐ सुन क्यों तुम मंदिरों में प्रसाद चढ़ा देते हो तुम, न सुनने वाली मूर्ति को कई बात बता देते हो तुम शहर गली मांगा करते भूखे बच्चे को 2....... अपने दरवाजे पर ही क्यों आवाज लगा देते हो तुम बचपन की यादों को भूल कर 2.......... मां बाप को भी बे औलाद बना देते हो तुम सच में उस मूर्ति में है 2......... अगर कोई तो उस तुम को हम में बदल पाएगा क्या तुम 2 ... नहीं तो रहने दो उस मूर्ति को मंदिर में 2.. हम अपने अपने घर में और वो अपने अपने मंदिर में!!! इंसानों की गुण को पहचानो भगवान दिखाई देगा