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हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, तुझे अपने शेरों में क

हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, तुझे अपने शेरों में कभी लिखा नहीं मैने। 
मैं कलम उठाता हूँ जमाने के लिए, 
दुनिया के गम को अपनी लेखनी मे उतारा है मैने।। 
#अंकित सारस्वत# #हश्र
हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, तुझे अपने शेरों में कभी लिखा नहीं मैने। 
मैं कलम उठाता हूँ जमाने के लिए, 
दुनिया के गम को अपनी लेखनी मे उतारा है मैने।। 
#अंकित सारस्वत# #हश्र