वो यूँ भी रूठ जायेगी मेरी इबादत गर रग लाए तो यही मागता तेरे गम तू नही कोई और ही काटता तेरी हर बात मेरी जुबान मे रहती थी अजब था किस्सा गजब थी कहानी जाने कयो सच मानता था परींदे थे जाने सलीका भूल गए उडने का ना जाने कयो हर रोज आसमा मागता था रोका नही कभी हक से तूने भी तो फिर मे तेरा रस्ता कया काटता बडा सूकून देता था तेरा मुस्काना मे उलझा रहा और वो लूटता था #Av #shabdanchal