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मेरी चंचल मुस्कान के पीछे दर्द भरा आंगन है ! आशा

मेरी चंचल मुस्कान के पीछे
दर्द  भरा आंगन है ! 
आशाओं का दीपक जगमग
पर अंधकार सघन है ! 

प्यार छले पर, प्यार ही चाहूं
कैसा पागलपन है ! 
गहरे तम पर हंसते तारे
कहें यही जीवन है ! 

मैं उत्सव हूं स्वतः स्वयं में
सच मेरा दर्पण है! 
रात कटेगी प्रात हंसेगी
कहती सूर्य किरण है! 

छला गया हर बार हृदय पर
गाता मस्त मगन है ! 
पढ़ते हो क्यों मुझको,मानो
कठिन मेरा वर्णन है !
प्रेरणा कठिन मेरा वर्णन है!
मेरी चंचल मुस्कान के पीछे
दर्द  भरा आंगन है ! 
आशाओं का दीपक जगमग
पर अंधकार सघन है ! 

प्यार छले पर, प्यार ही चाहूं
कैसा पागलपन है ! 
गहरे तम पर हंसते तारे
कहें यही जीवन है ! 

मैं उत्सव हूं स्वतः स्वयं में
सच मेरा दर्पण है! 
रात कटेगी प्रात हंसेगी
कहती सूर्य किरण है! 

छला गया हर बार हृदय पर
गाता मस्त मगन है ! 
पढ़ते हो क्यों मुझको,मानो
कठिन मेरा वर्णन है !
प्रेरणा कठिन मेरा वर्णन है!

कठिन मेरा वर्णन है!