मेरी चंचल मुस्कान के पीछे दर्द भरा आंगन है ! आशाओं का दीपक जगमग पर अंधकार सघन है ! प्यार छले पर, प्यार ही चाहूं कैसा पागलपन है ! गहरे तम पर हंसते तारे कहें यही जीवन है ! मैं उत्सव हूं स्वतः स्वयं में सच मेरा दर्पण है! रात कटेगी प्रात हंसेगी कहती सूर्य किरण है! छला गया हर बार हृदय पर गाता मस्त मगन है ! पढ़ते हो क्यों मुझको,मानो कठिन मेरा वर्णन है ! प्रेरणा कठिन मेरा वर्णन है!