राबिया जैसी न जाने कितनी और हैं इनकी फेहरिस्त में। न्याय किससे मांगे ,पहले सोच तो बदले। बूंद-बूंद से सागर भरता है। शुरुआत भी स्वयं से ही कर सागर को भरना होगा। क्योंकि हम सुधरेंगे,जग सुधरेगा। राबिया हममें से कोई भी हो सकता है। जग से तो हम सब लड़ लेंगे,पर अपनों से कैसे जीतेंगे। ©Alpita MishraSiwan Bihar #Justiceforrabia