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लाकङाउन की मुलाकात ●●●●●●●●●●●●● { Read in

     लाकङाउन की मुलाकात 
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Dr.Vishal Singh  #yostowrimomay #बालकनीकहानी #लघुकथा 
तुम बस यहीं लेटे रहा करों... तुम्हारे आराम के लियें ही यें लाकडाउन हुआ है ना..... क्या हुआ मां आप क्या बुदबुदा रहें हो... बताइये ना... मैने मां से पूछा तो वह और भड़क गयी मैंने फिर पूछा कुछ बताने का कष्ट करेंगी आप... हा हा ... अब तो मुस्कराहट आ गयी उनके चेहरे पर... क्यों नहीं ध्यान रखते हो अपना दिन भर बस आराम और मोबाइल..... शुगर फिर बढ़ गयी हैं ना... लोगडाउन है ना जाने कैसी बीमारी आ गयी है कब पीछा छूटेगा इससे.. बाहर नहीं जा सकते घूमने ऊपर छत पर ही टहल आया करो .... पता है ना कितनी चिन्ता रहती है तुम्हारी... मेरे सिवा कौन है जो तुम्हारा जो तुम्हारा ध्यान रखेंगा.... अच्छा... अच्छा अभी जाता हूॅ परेशान ना हों... ऐसा कहकर मै ऊपर छत पर आ गया उन्हें परेशान भी तो नहीं देख सकता हूँ ...
....कोन आयेगा यहाँ कोई आया होगा  ....मैं गजल गुनगुना रहा था अचानक पीछे से आवाज भाई ... विशु..... मुड़कर देखा बगल बाले घर की बालकनी से आवाज दी किसी ने, कुछ जानी पहचानी सी आवाज थी, कुरते से चश्मा साफ किया देखा तो ये क्या ये तो वही थी .... बोली अभी भी दिन भर गाते रहते हो .....पूरे 6 साल बाद देखा था उसे .... आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि कभी प्यार किया था इनसे बचपन का प्यार .... हमने कहा पता है ना खाये बिना रह सकते है पर गायें बिना नहीं.... हां पता है ज्यादा मत बनो अब... कब आई तुम ....बहुत दिन बाद देखा हैं वो कुछ कहे उससे पहले सवाल दाग दिया..... लाकङाउन से पहले आ गयी थी फिर यहीं फस कर रह गई अब तो बाद में ही जाना होता... पर अच्छा है इस बहाने यहा रह लुंगी पर तुम तो आज ही दिखायी दिये हो... हा .. हसकर बस मां की डांट खा कर आ गया..... और.... क्या...?... कैसी हो ? देख लो एकदम अच्छी हूँ.... पर तुम्हे क्या हुआ ये क्या हुलिया बना रखा है..... मैं फिर हस दिया.... अब हसो मत बताओगे कुछ... लोग कहते है मैं मीठा हो गया हूँ.... में फिर हस दिया... ये शायरी बन्द करों और बताओं मुझे....... अरे ये क्या कह दिया.... शायरी बन्द कर दू इसी से तो जिन्दा हूँ अभी तक .... खेर जाने दो शुगर है मुझे.... ओह्.... कभी ध्यान मत रखना अपना.... थोडी भी परवाह है या नहीं ...मैने मजाक के लहजे में कहा.. नहीं । बस काफी था यह उसके गुस्सा होने के लिए.... और अब बस गुस्से वाली नजरें... तुम नहीं थी ना किसके लिए परवाह करता..... क्यों बीबी कहा गयी .... पिताजी बता रहे थे अब वो तुम्हारे साथ नही है क्या हुआ था.. मैं मौन..... बोलोगे अब कुछ..... हां.... बताता हूं... उसके पास बस दिमाग था और मेरें पास बस दिल ... और दिमाग और दिल की बनती कहां है तुम हीं बताओ बनी है आज तक....? बस ये शायरी ही करते रहना अब क्या सोचा है आगे....
कुछ नहीं तुम बताओं तुम कैसी हो..... सही हूं बस जी रही हूँ.... क्यो क्या हुआ सब तो अच्छा है तुम्हारे साथ .... अच्छा घर परिवार फिर क्या हुआ.... विशु.... हा बोलो ना.... सिर्फ जीने के लिए ऐशोआराम नहीं चाहिए प्यार भी चाहिए होता है...ओर प्यार तो मैने तुम से किया था... और तुम पर तो केबल दिल हैं ना सब जानते हो.... तुमने एक बार भी कहां तुम मुझसे प्यार करते हो.... हिम्मत ही नहीं थी क्या करता ....
चुप रहों ... बस एकदम चुप ...कहा तो होता एक बार.... मैं बस उसे स्तब्ध होकर खडा देख रहा था.. थोडी देर बाद फिर बोली.... आंसू थे उसकी आंखों में... देखकर मन तो करा सीने से लगाकर आंसू पोंछ दू तभी संभलते हुए मैंने कहा तुम्हें तो पता था ना कि मैं कह नहीं पाता.... हां पता है पर. अब क्या ?
हा.... हा अब क्या... कुछ सुनोगी.... हां सुना दो आंसू पोंछते हुए बोली.... हां सुनो... अब सुना भी दो.........
तुम कहती हो ना मैने क्यो नही इजहार किया मुझे ङर था तुम्हे खोने का कहीं तुम्हारी यह दोस्ती भी ना खो दू पर तुम ही कह देती ना .....
हर मुलाकात पर सोचा... आज प्यार का इजहार होगा..... वरना इस लाकडाउन में हम दोनों साथ होते...
     लाकङाउन की मुलाकात 
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Dr.Vishal Singh  #yostowrimomay #बालकनीकहानी #लघुकथा 
तुम बस यहीं लेटे रहा करों... तुम्हारे आराम के लियें ही यें लाकडाउन हुआ है ना..... क्या हुआ मां आप क्या बुदबुदा रहें हो... बताइये ना... मैने मां से पूछा तो वह और भड़क गयी मैंने फिर पूछा कुछ बताने का कष्ट करेंगी आप... हा हा ... अब तो मुस्कराहट आ गयी उनके चेहरे पर... क्यों नहीं ध्यान रखते हो अपना दिन भर बस आराम और मोबाइल..... शुगर फिर बढ़ गयी हैं ना... लोगडाउन है ना जाने कैसी बीमारी आ गयी है कब पीछा छूटेगा इससे.. बाहर नहीं जा सकते घूमने ऊपर छत पर ही टहल आया करो .... पता है ना कितनी चिन्ता रहती है तुम्हारी... मेरे सिवा कौन है जो तुम्हारा जो तुम्हारा ध्यान रखेंगा.... अच्छा... अच्छा अभी जाता हूॅ परेशान ना हों... ऐसा कहकर मै ऊपर छत पर आ गया उन्हें परेशान भी तो नहीं देख सकता हूँ ...
....कोन आयेगा यहाँ कोई आया होगा  ....मैं गजल गुनगुना रहा था अचानक पीछे से आवाज भाई ... विशु..... मुड़कर देखा बगल बाले घर की बालकनी से आवाज दी किसी ने, कुछ जानी पहचानी सी आवाज थी, कुरते से चश्मा साफ किया देखा तो ये क्या ये तो वही थी .... बोली अभी भी दिन भर गाते रहते हो .....पूरे 6 साल बाद देखा था उसे .... आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि कभी प्यार किया था इनसे बचपन का प्यार .... हमने कहा पता है ना खाये बिना रह सकते है पर गायें बिना नहीं.... हां पता है ज्यादा मत बनो अब... कब आई तुम ....बहुत दिन बाद देखा हैं वो कुछ कहे उससे पहले सवाल दाग दिया..... लाकङाउन से पहले आ गयी थी फिर यहीं फस कर रह गई अब तो बाद में ही जाना होता... पर अच्छा है इस बहाने यहा रह लुंगी पर तुम तो आज ही दिखायी दिये हो... हा .. हसकर बस मां की डांट खा कर आ गया..... और.... क्या...?... कैसी हो ? देख लो एकदम अच्छी हूँ.... पर तुम्हे क्या हुआ ये क्या हुलिया बना रखा है..... मैं फिर हस दिया.... अब हसो मत बताओगे कुछ... लोग कहते है मैं मीठा हो गया हूँ.... में फिर हस दिया... ये शायरी बन्द करों और बताओं मुझे....... अरे ये क्या कह दिया.... शायरी बन्द कर दू इसी से तो जिन्दा हूँ अभी तक .... खेर जाने दो शुगर है मुझे.... ओह्.... कभी ध्यान मत रखना अपना.... थोडी भी परवाह है या नहीं ...मैने मजाक के लहजे में कहा.. नहीं । बस काफी था यह उसके गुस्सा होने के लिए.... और अब बस गुस्से वाली नजरें... तुम नहीं थी ना किसके लिए परवाह करता..... क्यों बीबी कहा गयी .... पिताजी बता रहे थे अब वो तुम्हारे साथ नही है क्या हुआ था.. मैं मौन..... बोलोगे अब कुछ..... हां.... बताता हूं... उसके पास बस दिमाग था और मेरें पास बस दिल ... और दिमाग और दिल की बनती कहां है तुम हीं बताओ बनी है आज तक....? बस ये शायरी ही करते रहना अब क्या सोचा है आगे....
कुछ नहीं तुम बताओं तुम कैसी हो..... सही हूं बस जी रही हूँ.... क्यो क्या हुआ सब तो अच्छा है तुम्हारे साथ .... अच्छा घर परिवार फिर क्या हुआ.... विशु.... हा बोलो ना.... सिर्फ जीने के लिए ऐशोआराम नहीं चाहिए प्यार भी चाहिए होता है...ओर प्यार तो मैने तुम से किया था... और तुम पर तो केबल दिल हैं ना सब जानते हो.... तुमने एक बार भी कहां तुम मुझसे प्यार करते हो.... हिम्मत ही नहीं थी क्या करता ....
चुप रहों ... बस एकदम चुप ...कहा तो होता एक बार.... मैं बस उसे स्तब्ध होकर खडा देख रहा था.. थोडी देर बाद फिर बोली.... आंसू थे उसकी आंखों में... देखकर मन तो करा सीने से लगाकर आंसू पोंछ दू तभी संभलते हुए मैंने कहा तुम्हें तो पता था ना कि मैं कह नहीं पाता.... हां पता है पर. अब क्या ?
हा.... हा अब क्या... कुछ सुनोगी.... हां सुना दो आंसू पोंछते हुए बोली.... हां सुनो... अब सुना भी दो.........
तुम कहती हो ना मैने क्यो नही इजहार किया मुझे ङर था तुम्हे खोने का कहीं तुम्हारी यह दोस्ती भी ना खो दू पर तुम ही कह देती ना .....
हर मुलाकात पर सोचा... आज प्यार का इजहार होगा..... वरना इस लाकडाउन में हम दोनों साथ होते...