दो पल की खुशी के लिए, इंसान जाने क्या- क्या कर जाता है? कभी किसी के लिए जीता है, कभी किसी के लिए मर जाता है। कोई आशिक जैसे पल में, महबूब की आंखों में सदियां जी जाता है। कोई संग रहकर भी साथ नहीं होता, कोई दूर से साथ निभाता है। दो पल की खुशी के लिए, मां बच्चों पर सब कुछ लुटा देती है। बच्चों के लबों की हंसी के लिए, सारी ख्वाहिशें भुला देती है। अपने दो पल की खुशी के लिए, न किसी का जीवन बर्बाद करो। दूसरों के जीवन में खुशियां भरो, खुद के जीवन को भी आबाद करो। -"Ek Soch" 👉 ये हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता संख्या - 5 है..! 👉 आप सब को दिए गए शीर्षक के साथ Collab करना है., आप अपनी रचनाओं को आठ पंक्तियों (8) में लिखें..! 👉Collab करने के बाद comment box में Done जरूर लिखें..! 👉 प्रतियोगिता में भाग लेने की समय सीमा कल सुबह 11 बजे तक की है..!