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#KavyanjaliAntaragni21 तुम पर मेरा क्या अधिकार है

#KavyanjaliAntaragni21
तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु ?

मेरी जगह तुम्हारे चित्त में कहीं नहीं है
तुम्हारे मन में इतना स्थान बाकि भी नहीं 
कि मेरा एक मुट्ठी प्यार समेट सके 
और तुम्हें देने के लिए भी क्या है मेरे पास
किसी का दिया कोई प्रेमपत्र नहीं, जिसे पढ़कर तुम्हें जला सकूँ 
न मेरी बाट जोहता कोई पुराना आशिक़ 
कि जिसका नाम लेकर चिढाऊँ तुम्हें 
तुम मेरा प्यार नहीं _और नहीं हो मित्र भी 
तो तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु?

बारिश की आवाज़ से जागी हुई आंखें, 
कमरे में लगी तुम्हारी तस्वीर देख 
मुस्कुरा क्यों उठती हैं _जबकि मैंने तुम्हारी प्रेमिका नहीं हूँ ?
और दिन-ब-दिन  के जीवन यापन में 
मैं ये क्यों सोचती हूँ कि
अगर तुम होते मेरी जगह तो क्या करते 
तुम मेरे गुरु भी तो नहीं 
फिर तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु ?

हम मिले भी नहीं कभी चाय पर 
मैं नहीं जानती कि लोकतंत्र के बारे में तुम्हारी क्या राय है 
कि सोलह हज़ार रानियों के होते हुए भी 
तुमने मुहब्बत के लिए राधा को क्यों चुना 
मेरे पास कितने सवाल हैं तुम्हारे लिए 
और बहुत सारा सब्र, तुम्हारे जवाबों के लिए 
मगर मुझे तुम्हारा इंतज़ार क्यों करना चाहिए 
कहो न_तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु ?

मुझे ये दुनिया जब समझ नहीं आती 
तो मैं तुम पर लौटती हूँ 
तुम्हारी मामूली सी बातों में भी 
कोई गहरा सा दर्शन ढूंढने की कोशिश करती 
मैं लोगों से लड़ जाती हूँ 
जबकि मुझे ये इल्म है_कि तुम शायद कभी थे ही नहीं 
इस दुनिया में 
तुम्हारे होने और नहीं होने की दुविधा के बीच 
जो मैं हर बार तुम्हारे होने का ख्याल चुनती हूँ 
तो क्या मैं हर बार तुम्हें जन्म देती हूँ?
मगर मैं तुम्हारी माँ नहीं हूँ 
तो तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु ??

मेरे साथ कॉफ़ी पीने चलोगे?
या चलोगे कुछ सड़कों पर साथ?
मेरे कितने मामूली ख्वाब हैं तुमसे जुड़े हुए 
जिसके लिए ये लोग मुझे मार तक सकते हैं 
और मैं तुम्हारी मीरा भी नहीं 
कि तुम इन सबसे मुझे बचाने, इस ज़मीन पर आओगे दोबारा 
तो फिर तुम मेरा क्या अधिकार है कनु?
तुम मेरे कौन हो??

©jyoti yadav #kanupriya
#KavyanjaliAntaragni21
तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु ?

मेरी जगह तुम्हारे चित्त में कहीं नहीं है
तुम्हारे मन में इतना स्थान बाकि भी नहीं 
कि मेरा एक मुट्ठी प्यार समेट सके 
और तुम्हें देने के लिए भी क्या है मेरे पास
किसी का दिया कोई प्रेमपत्र नहीं, जिसे पढ़कर तुम्हें जला सकूँ 
न मेरी बाट जोहता कोई पुराना आशिक़ 
कि जिसका नाम लेकर चिढाऊँ तुम्हें 
तुम मेरा प्यार नहीं _और नहीं हो मित्र भी 
तो तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु?

बारिश की आवाज़ से जागी हुई आंखें, 
कमरे में लगी तुम्हारी तस्वीर देख 
मुस्कुरा क्यों उठती हैं _जबकि मैंने तुम्हारी प्रेमिका नहीं हूँ ?
और दिन-ब-दिन  के जीवन यापन में 
मैं ये क्यों सोचती हूँ कि
अगर तुम होते मेरी जगह तो क्या करते 
तुम मेरे गुरु भी तो नहीं 
फिर तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु ?

हम मिले भी नहीं कभी चाय पर 
मैं नहीं जानती कि लोकतंत्र के बारे में तुम्हारी क्या राय है 
कि सोलह हज़ार रानियों के होते हुए भी 
तुमने मुहब्बत के लिए राधा को क्यों चुना 
मेरे पास कितने सवाल हैं तुम्हारे लिए 
और बहुत सारा सब्र, तुम्हारे जवाबों के लिए 
मगर मुझे तुम्हारा इंतज़ार क्यों करना चाहिए 
कहो न_तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु ?

मुझे ये दुनिया जब समझ नहीं आती 
तो मैं तुम पर लौटती हूँ 
तुम्हारी मामूली सी बातों में भी 
कोई गहरा सा दर्शन ढूंढने की कोशिश करती 
मैं लोगों से लड़ जाती हूँ 
जबकि मुझे ये इल्म है_कि तुम शायद कभी थे ही नहीं 
इस दुनिया में 
तुम्हारे होने और नहीं होने की दुविधा के बीच 
जो मैं हर बार तुम्हारे होने का ख्याल चुनती हूँ 
तो क्या मैं हर बार तुम्हें जन्म देती हूँ?
मगर मैं तुम्हारी माँ नहीं हूँ 
तो तुम पर मेरा क्या अधिकार है कनु ??

मेरे साथ कॉफ़ी पीने चलोगे?
या चलोगे कुछ सड़कों पर साथ?
मेरे कितने मामूली ख्वाब हैं तुमसे जुड़े हुए 
जिसके लिए ये लोग मुझे मार तक सकते हैं 
और मैं तुम्हारी मीरा भी नहीं 
कि तुम इन सबसे मुझे बचाने, इस ज़मीन पर आओगे दोबारा 
तो फिर तुम मेरा क्या अधिकार है कनु?
तुम मेरे कौन हो??

©jyoti yadav #kanupriya
jyotiyadav6758

jyoti yadav

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