मकान चाहे कच्चे थे पर रिश्ते सारे सच्चे थे चारपाई पर बैठते थे पास _पास रहते थे सोफे और डबल बेड आ गए दूरियां हमारी बढ़ा गए छतों पर अब न सोते है बात बतंगड़ अब न होते है आंगन में वृक्ष थे सांझे सुख_ दुख थे दरवाजा खुला रहता था राही भी आ बैठता था पुराना जमाना ही अच्छा था #नोजोटोहिंदी #पुरानाजमाना #नयाजमाना #सच्चीबात #आजकीबात #बदलाव