*परी*तीक्षा, खुशबू हो तुम.... Dedicating a #testimonial to Prateeksha Singh सबके पास होती है, खुशियों की गुल्लक, हम सब उसे भुला कर, खुशी ढूंढने निकल पड़ते हैं, अपनी खुशी की गुल्लक को, खोलने से जाने क्यूं डरते हैं, खुशी कोई सामान नहीं है,