चलो आज फिर बैठ, फुर्सत मे हम बात करते है, एक दूसरे के दिये दर्दो, का हम हिसाब करते है अपने खुद के गुस्ताख़ीयों का,हम इकबाल करते है चलो आज फिर बैठ, फुर्सत मे हम बात करते है, जो तुम छोड़ गये हमें हमारे हलातों पे क्या तुम्हे याद है, थी मेरी कुछ गुस्ताख़ीयां हमें क़बूल है हमे याद भी है तुम ने मुझे मेरी गुस्ताख़ीयों की इतनी बड़ी सजा दिया तुम से ही थी मेरी सच्ची मोहब्बत,और तुमने ही मुझे दगा दिया हाँ होती है हर रिश्तों में, थोडी बहुत नोंक झोंक इसका ये मतलब तो नही की, तुमने रिश्तों को ही भुला दिया इस मतलबी लोगों मे, बस तुम से ही थी उम्मीद मेरी, और उस उम्मीद को तोड़, तुमने मुझे सच मे मुझे भुला दिया खैर छोड़ो इन बातों को, ये तो रहे हमारे इल्जाम पर सच कहों हमसे, याद आयी मेरी या फिर हमारी यादों को भी, रिश्तों की तरह तुमने भुला दिया। वो बातें, तुम्हारे वादें कुछ सच भी था हमारे रिश्तों मे या बस महज एक जुबानी समझकर भुला दिया। #copyright ©Saurav Kumar #Shadow #feelings #Love #quots #follow