सखी एक मन बसे है बाबुल की आंगन एक मन भागे है पिया के गांव रे सखी पिया का गांव है मनभावन और दिल में बसे है बाबुल का छांव रे मां का आंचल छूटे नहीं बापू का प्यार दुलार याद आए एक मन कहे नहीं जाना मैंने पर है पिया की याद सताए उलझन में मन है, खेले है जिया क्या दांव रे सखी बाबुल का आंगन पराया जाना है पिया के गांव रे ©Nikhil Kumar #feelings_of_newbride #nikku_writer note- यह रचना हमारी एक भाभी जी के कहने पर मेरे द्वारा लिखा गया है😌 वो अपने मायके से आ रहीं तो उन्होंने बोला था कुछ लिखो जिसे शेयर करू अपनी सहेलियों के साथ