मैं अब वही जाऊंगा जहाँ सैलाब आया आँखों से तो बहा चुका, जिस चाँद से रोशन थी जमीं मेरी , अब उस आसमाँ को भी गिरा चुका। बिना पानी के जो अटकी पड़ी थी, उस नाव को आँसुओ से बहा चुका, एक ही राह पर था सफर मेरा, और तू बहुत चौराहों से गुजर चुका। ✍️✍️ मरहम"कलम" ©Isolated poetry, हिंदी,उर्दू लफ्ज कैसी लगी ,,ख्वाहिश जगी???? #Love