माना नोटों को ख़नकना नहीं आता,
जानते ये है उन्हें बदलना नहीं आता,
ये बड़े हैं तो गुमान रखते हैं खुद पर,
ये सिक्के हैं जिन्हें बिकना नहीं आता,
हर बार भ्रष्ट हो जाते हो तुम नोट बन,
यूँ बिन सिक्के कभी हंसना नहीं आता, #Poet#poem#कविता#pride#November#Coins