माना नोटों को ख़नकना नहीं आता, जानते ये है उन्हें बदलना नहीं आता, ये बड़े हैं तो गुमान रखते हैं खुद पर, ये सिक्के हैं जिन्हें बिकना नहीं आता, हर बार भ्रष्ट हो जाते हो तुम नोट बन, यूँ बिन सिक्के कभी हंसना नहीं आता, हर बच्चे की मुस्कान की पहचान है ये, नोट बनकर तुम्हें कुछ करना नहीं आता, मैं तो कहता रहा सिक्के सी पहचान बनो, वर्न नोट को सिक्के सा बजना नहीं आता। *: ℘ཞıყąŋʂɧų ʂɧąཞɱą :* ©Priyanshu Sharma माना नोटों को ख़नकना नहीं आता, जानते ये है उन्हें बदलना नहीं आता, ये बड़े हैं तो गुमान रखते हैं खुद पर, ये सिक्के हैं जिन्हें बिकना नहीं आता, हर बार भ्रष्ट हो जाते हो तुम नोट बन, यूँ बिन सिक्के कभी हंसना नहीं आता,