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फूल कभी खुशबू न्यौछावर करती है सीमा में क्या? खिलत

फूल कभी खुशबू न्यौछावर करती है सीमा में क्या?
खिलती जो उपवन में कलियां महक रहें बंधन में क्या?
भंवरे गुंजन गान करें हैं सीमित है मधुबन में क्या?
प्रकृति कहीं सीमा निर्धारित करती है कण-कण में क्या?
मेरे मन के झंकृत प्रश्नों के उत्तर दे कोई प्रभा!
प्रेम-प्रणय की सीमा में क्या बंध जाती हैं, वसुंधरा?

नदियां सीमा निर्धारण कर बहती है आंगन में क्या?
हवा का झोंका श्वास सुवासित करती नन्दन वन में क्या?
पंख पसारे चिड़िया रानी पिंजरे में उड़ती है क्या?
मेघ अकेले छा कर, प्रियवर!बरसे एक अंजन में क्या?
मेरे हृदय कि जिज्ञासा को शांत करें, हैं कोई धरा?
सूरज क्या एक मधुर घड़े का पानी अवशोषित करता?

 मैं भी कोई पुष्प जो होती, वन-वन को महकाती क्या?
या फिर भंवरे सा गुंजन कर फूल-फूल मंडराती क्या?
 अल्हड़ सी यदि सरिता होती, नीरधि मिलन सजाती क्या?
पवन का झोंका होती तो मैं, पिय के हिये समाती क्या?
मन उन्मुक्त परे 'सीमा' से, कैसे नेह के ड़ोर बंधा?
बिन पंखों के गगन चूमने-आलिंगन की राह बता?

                                               संवेदिता

©Rupam Samvedita #boundation
#samvedita 
#hindipoetry 
#NatureLove 

#Morning
फूल कभी खुशबू न्यौछावर करती है सीमा में क्या?
खिलती जो उपवन में कलियां महक रहें बंधन में क्या?
भंवरे गुंजन गान करें हैं सीमित है मधुबन में क्या?
प्रकृति कहीं सीमा निर्धारित करती है कण-कण में क्या?
मेरे मन के झंकृत प्रश्नों के उत्तर दे कोई प्रभा!
प्रेम-प्रणय की सीमा में क्या बंध जाती हैं, वसुंधरा?

नदियां सीमा निर्धारण कर बहती है आंगन में क्या?
हवा का झोंका श्वास सुवासित करती नन्दन वन में क्या?
पंख पसारे चिड़िया रानी पिंजरे में उड़ती है क्या?
मेघ अकेले छा कर, प्रियवर!बरसे एक अंजन में क्या?
मेरे हृदय कि जिज्ञासा को शांत करें, हैं कोई धरा?
सूरज क्या एक मधुर घड़े का पानी अवशोषित करता?

 मैं भी कोई पुष्प जो होती, वन-वन को महकाती क्या?
या फिर भंवरे सा गुंजन कर फूल-फूल मंडराती क्या?
 अल्हड़ सी यदि सरिता होती, नीरधि मिलन सजाती क्या?
पवन का झोंका होती तो मैं, पिय के हिये समाती क्या?
मन उन्मुक्त परे 'सीमा' से, कैसे नेह के ड़ोर बंधा?
बिन पंखों के गगन चूमने-आलिंगन की राह बता?

                                               संवेदिता

©Rupam Samvedita #boundation
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#hindipoetry 
#NatureLove 

#Morning