वक्त वक्त की बात है,सीधी और साफ है... आपने आपस में लड़ बैठ यही गैरो की चाल है! सत्ता बस एक खेल है.... यहां इंसान ढेर है.... आजादी में खेली चाल से, सत्ता रंजन फिर बेहाल है! तब तो गोरे🏴थे चंद, आज कुछ अपने ही चाल बाज है! कहीं चली अस्मिता की बात, तो कहीं पूछता भारत है! पर यहां इंसान ढेर है.... समस्या गहरी है मेरे देश की, पर चर्चा से निवारण है। कहीं रो रही पीड़ित, तो कहीं लड़ रही सच्चाई है। बदल रहा है भारत के आगे....! यहां इंसान ढेर है..... विविधता में एकता वाले लोग अब यहां नहीं रहते! कोई यहां मूलनिवासी और कोई यहां काफिर है। संविधान के अक्षर बस! लोकशाही का उदाहरण है! इसी के चलते रोज़ हो रहा सता हरण... तो कही चिर हरण है......... inside_mj ©thoughtS by Mahesh jirekar #darkness of my country