जरूरी है जिन्दगी रूठी सी है गर उसे मनाना भी जरूरी है गिर कर अश्क आंखों से हथेली पे उतर जाना भी जरूरी है गिरह जो दिल में है उसको खुल जाना भी जरूरी है उलझी है जिंदगी गर उसे सुलझाना भी जरूरी है कभी धूप लगे भली तो कभी छांव भी जरूरी है सताया है बहुत खुद को जरा प्यार जताना भी जरूरी है कभी रूठना तो कभी मनाना भी जरूरी है नहीं बातों से सिर्फ चलती जिंदगी कुछ कर गुजर जाना भी जरूरी है यही है फलसफा जिन्दगी की इसे समझना भी जरूरी है ©Savita Suman #जरूरी_है