किसी शांत झील सा मैं और उड़ते बवंडर से तुम कैसे मिल पाए भला कहीं मैं , कहीं तुम... मै पगडंडियां पथरीला सा और महल आलीशान से तुम.. जर्रा जर्रा सी जिंदगी मेरी किसी आफताब से तुम कैसे मिल पाए भला कही मैं , कही तुम... किसी कड़वी निंबो सा मैं बनारस के मीठे पान से तुम, शरबत घुली सी हंसी तेरी और उदासी की खदान से हम कैसे मिल पाए भला कहीं मैं , कहीं तुम.. डियरCOMRADE ©Ankur Mishra #कही#मैं#कही#तुम किसी शांत झील सा मैं और उड़ते बवंडर से तुम कैसे मिल पाए भला कहीं मैं , कहीं तुम... मै पगडंडियां पथरीला सा और महल आलीशान से तुम..