दूरियां कुछ बड़ रही हैं अभी बहुत सी बातें बाकी हैं, तुझसे मुलाकातों में अहद-ए -वफा के बहोत से वादे बाकी हैं । घुंमू कब तलक मैं बिछड़ कर दर - ब - दर, तन्हा खुशी का पल देखूं कहां तक। होगी तू भी रूखसत जिस दिन...., वो वक्त आने में अभी कुछ रातें बाकी हैं दूरियां कुछ बड़ रही हैं अभी बहुत सी बातें बाकी है। तू गुनहगार कर दे अपनी महफिल में मुझे, तू अब शौख से उड़ा मेरी वफाओं के मजे। तू एक बेगाने को अब पागल कह दे...., तुझपे लिखे जो नज्में तू शायर कह दे। फैलती अफवाहों से अब तू रिहा कर दे, तू वक्त से रुसवा कर तुझमें गुबारें अभी बाकी है। दूरियां कुछ बड़ रही हैं अभी बहुत सी बातें बाकी हैं ।। ✍️ठाकुर अमित ©ठाकुर अमित Amit singh #poem #alone